२६/११ का आतंक..

एक सवाल मैं पूछ रहा हूँ ,
देश के खिदमतगारों से I
क्यों भीगी बिल्ली बन जाते ,
दुश्मन की ललकारों से ?

जनता अजमल की ‘खातिर’ को ,
देख-देख शर्मिंदा है I
क्यों आज तक मुंबई हमले
का आरोपी जिन्दा है ?

जिन गलियों में दौड़-दौड़ कर ,
हाहाकार मचाया था I
अमन-चैन की धरती पर ,
पानी सा रक्त बहाया था II

उन गलियों में दौड़ाकर ,
जनता भी उसपर वार करे I
बीच सड़क पर फाँसी देकर ,
पापी का संहार करे II

मुंबई हमलों के शहीद का ,
असली मान तभी होगा I
दुनिया के नक़्शे पर जब ,
ये पाकिस्तान नहीं होगा II
 
जब तक इनकी छाती पर ,
चढ़कर हुंकार नहीं भरते I
जब तक इनके जैसे हम भी ,
सीमापार नहीं करते II

तब तक यूँ ही खून बहेगा ,
चन्दन जैसी माटी पर I
तब तक वे ऐसे ही चढ़कर ,
मूंग दलेंगे छाती पर II



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