ये प्रधानमंत्री ईमानदार नहीं है

   २जी घोटाले में प्रणव मुखर्जी की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया पत्र चिदंबरम के गले की फांस बनती जा रही है.इस पत्र में यह कहा गया है कि यदि चिदंबरम चाहते तो घोटाला रोका जा सकता था.यह पत्र चिदंबरम की भूमिका पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है.ए.राजा अदालत में पहले ही कह चूके हैं कि प्रधानमंत्री और तत्कालीन वित्तमंत्री चिदंबरम की जानकारी में सबकुछ था.फिर उस घोटाले में अपनी भूमिका से चिदंबरम और उन्हें बचाने पर तुले प्रधानमंत्री कैसे बच सकते हैं?दरअसल चिदंबरम दस जनपथ के कृपापात्र होने के कारण ही अब तक बचे हुए हैं,अन्यथा वित्तमंत्री और गृहमंत्री जैसे प्रमुख पदों पर उनकी विफलता जगजाहिर है.इस विफलता को छिपाने के लिए उन्होंने भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ी.दस जनपथ के इशारे पर उन्होंने जांच एजेंसियों को तथाकथित हिंदू आतंकवाद की जांच-पड़ताल में लगा दिया.इसका परिणाम यह हुआ कि जिहादी आतंकवादी बेख़ौफ़ होकर बम विस्फोट करने लगे.हाल में मुंबई और दिल्ली उच्च न्यायालय परिसर में हुई विस्फोटों की घटनाएं इसी का परिणाम है.पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटील को उनकी विफलता और कार्यशैली के कारण पड़ छोड़ना पड़ा था,पर उनसे भी ज्यादा देश की दुर्गति कर देने वाले चिदंबरम शान से अपने पद पर बने हुए हैं.आखिर क्यों?

   करीब पौने दो लाख करोड़ के २जी घोटाले ने पूरे देश को हतप्रभ कर रखा है.इसे सरकार लगातार नकारती रही.शुरू में प्रधानमंत्री ए.राजा को बचाते रहे,पर जब उनका भेद ज्यादा खुलने लगा तब मौन हो गए.अब चिदंबरम का नाम उछलने पर उन्हें धैर्य बनाये रखने की नसीहत दे रहे है.देश का यह दुर्भाग्य है कि देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो यह कहता है कि उसे इस घोटाले की जानकारी नहीं थी.देश के इतने बड़े राजस्व की लूट हो गई और प्रधानमंत्री को पता नहीं चला इस बात पर कौन यकीन करेगा?यदि वाकई ऐसा है तो प्रधानमंत्री को गंभीरता पूर्वक सोचना चाहिए कि वे इस पद पर क्यों बने हुए हैं?कल दयानिधि मारन की चिट्ठी ने यह साबित कर दिया कि दाल में कुछ काला नहीं पूरी की पूरी दाल ही काली है.और इसमें अपने प्रधानमंत्री की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता.अन्ना हजारे के जनलोकपाल बिल को पास न करने के पीछे की असली वजह यही है.दरअसल प्रधानमंत्री के साथ-साथ पूरी संप्रग सरकार ये अच्छी तरह जानती है कि यदि यह बिल पास हुआ तो वे सब भी तिहाड में कैद होंगे.यदि सरकार की नियत साफ़ है तो वह क्यों नहीं दूध का दूध और पानी का पानी कर रही?लेकिन सरकार ये बात अच्छी तरह से जानती है कि यदि सच्चाई सामने आई तो उन सबके चेहरों पर कालिख पुत जायेगी.कपिल सिब्बल ने तो कैग रिपोर्ट पर ही सवालिया निशान लगा दिया था.दरअसल इस घोटाले के पीछे पूरी की पूरी कांग्रेस पार्टी शामिल है.मनमोहनसिंग की जिस इमानदारी का बखान ये करते हैं असल में ये इमानदारी का चोंगा ओढ़े हुए हैं.इनके मौन के पीछे कोई गहरा भेद है जिसका खुलना बहुत जरूरी है.इस घोटाले में जिस तरह से परत दर परत खुल रही है उसके बाद चाहे वह चिदंबरम हों या प्रधानमंत्री,इन्हें एक पल के लिए भी पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है.यदि ये पद नहीं छोडते हैं तो इन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर देना चाहिए.

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