हिंदी की 10 सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ

   
हिंदी साहित्य की सैकड़ों कहानियों में से 10 सर्वश्रेष्ठ कहानियों का चुनाव मेरे लिए बेहद मुश्किल काम था लेकिन फिर भी साहित्य की समझ के हिसाब से मैंने इन रचनाओं का चुनाव किया है.
1. उसने कहा था – चंद्रधर शर्मा गुलेरी
    'उसने कहा था' हिंदी की ऐसी कालजयी कहानी है जिसकी प्रासंगिकता और सार्वकालिकता इसके कथानक पर ही नहीं, इसकी भाषिक संरचनात्मक विशिष्टता पर भी आधारित है.
ऐसी 'हिंदी', जो आज के अकादमिक, सांस्थानिक और राजकीय-राजनीतिक प्रयासों से अपठनीय बना दी गई है और जो साधारण हिंदी भाषियों के लिए दुरुह और अजनबी हो चुकी है.
वही साहित्यिक 'हिंदी' जो हिंदी के नाम पर शिक्षण संस्थानों में प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालयों तक लागू है और जिसमें लाखों हिंदी भाषी बच्चे परीक्षाओं में फ़ेल हो जाते हैं.
    उसी हिंदी के सामने 'उसने कहा था' की वो हिंदी जो आज भी इसलिए ताज़ा और समकालीन लगती है क्योंकि वो एक ओर तो जीवित-व्यावहारिक भाषा को रचना का आधार बनाती है और दूसरी ओर वो इस भाषा की व्यंजनाओं को विरल विलक्षण आँख से पकड़ती है.
कोई भी पाठक, जैसे ही इस कहानी को पढ़ना शुरू करता है वो इसकी विवरणात्मकता और व्यंजना के जादू से बंध कर रह जाता है.
उदाहरण के लिए इस कहानी का पहला पैरा ही देखिए :
    "यह बात नहीं कि उनकी जीभ चलती नहीं, पर मीठी छुरी की तरह महीन मार करती हुई. यदि कोई बुढ़िया बार-बार चितौनी देने पर भी लीक से नहीं हटती, तो उनकी बचनावली के ये नमूने हैं हट जा – जीणे जोगिए; हट जा करमाँवालिए; हट जा पुत्ताँ प्यारिए; बच जा लंबीवालिए. समष्टि में इनके अर्थ हैं कि तू जीने योग्य है, तू भाग्योंवाली है, पुत्रों को प्यारी है, लंबी उमर तेरे सामने है, तू क्यों मेरे पहिए के नीचे आना चाहती है, बच जा."
दुर्भाग्य से इस कहानी की अब तक की गई चर्चा सिर्फ़ इसके कथ्य यानी एक गहरे भावुक प्रेम की त्रासद विडंबना के ही संदर्भ में की गई है और जिसका आधार लहना सिंह और उसकी प्रेमिका के बीच के इस संवाद तक हमेशा समेट दिया जाता है :
"तेरी कुड़माई हो गई ?
धत्! कल हो गई. देखते नहीं. रेशमी बूटों वाला सालू...?"
लेकिन ख़ुद सोचें कि क्या इसी कहानी में यह वाक्य कमतर था :
'बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही.'

    शेष निम्नलिखित श्रेष्ठ हिंदी कहानियों का वाचन निश्चय ही आपको आनंदित करेगा.
2. हार की जीत – सुदर्शन
3. सद्गति – प्रेमचंद
4. कफ़न – प्रेमचंद
5. टोबा टेक सिंह – सआदत हसन मंटो
6. तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफ़ाम – फणीश्वर नाथ रेणु
7. पक्षी और दीमक – गजानन माधव मुक्तिबोध
8. चीफ़ की दावत – भीष्म साहनी
9. गुल की बन्नो – धर्मवीर भारती
10. घंटा – ज्ञानरंजन

साभार_ बी बी सी.

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