शिक्षक के रूप में मैं...

   मैं इस भयानक नतीजे पर पहुंचा हूँ कि क्लास रूम में निर्णायक तत्व मैं ही हुआ करता हूँ .हर रोज मेरे मिज़ाज से ही तय होता है कि वहां का मौसम कैसा रहेगा .एक शिक्षक के रूप में मेरे पास यह तय करने की विराट शक्ति है कि किसी बच्चे की जिंदगी दुःख भरी होगी या खुश नुमा .मैं वहां यातना का यन्त्र बन सकता हूँ और प्रेरणा का उपकरण भी .मैं किसी बच्चे को अपमानित कर सकता हूँ या उसके साथ हंसी-मज़ाक कर सकता हूँ ,उसे तकलीफ़ पहुंचा सकता हूँ या उसके जख्मों पर मरहम लगा सकता हूँ .सभी परिस्थितियों में यह मेरा रवैया ही है ,जिससे यह तय होता है कि कोई संकट बढ़ जायेगा या घटने लगेगा ,और यह भी कि कोई बच्चा मानवीकरण के रास्ते पर बढ़ेगा या अमानवीकरण के .

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