वियोग..


सइयां नेह लगाई के,बसे कौन से देस ,
अब तो कागा भेज दे पिया मिलन संदेस II
पिया मिलन संदेस कि सखियाँ ताना मारें ,
धर जोगन का भेष फिरूं मैं नदी किनारे II
नदी किनारे भटकूँ जब से हुआ वियोग ,
छूटे सब सिंगार लगा है प्रेम का रोग II
लगा प्रेम का रोग रात-दिन जलती छाती ,
सुलग रही दिन रैन दिया बिन जैसे बाती II

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