यौवन रस...
सागर संग हिलोर है I
फूल में जैसे खुशबू ,
जैसे चंदा संग चकोर है II
वैसे प्यार तुम्हारा मेरे ,
रोम-रोम से छलक रहा I
अंग-अंग से प्यार लुटाने
को पागल मन ललक रहा II
दग्ध ह्रदय की ज्वाला को ,
कब तक ऐसे भड़काओगे ?
चैन मिलेगा तुमको जब तुम
बाहों में आ जाओगे II
मरुभूमि पर शीतल जल की ,
धार गिरी कुछ मान धरो I
प्यास बुझा लो अधरों की ,
यौवन रस का रसपान करो II
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कविता
wow nice
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