बनारस का रस...
चाहे घूमों फ़ारस में,
जो मजा बनारस में,वो
नहीं मिले किसी रस मेंII
माथे तिलक लगाये पण्डों
का घाटों पर मेला है,
'हर-हर महादेव' करते
जाते भक्तों का रेला हैII
मुंह में पान दबाए,मस्तक
ऊंचा कर बतियाते हैं,
बांध कमर पे गमछा,सारा
शहर घूम कर आते हैंII
चौक,बांसफाटक से लेकर
संकट मोचन,अस्सी तक,
सुबह कचौड़ी,शाम ठंडई,
पुरवा वाली लस्सी तकII
गली-गली मिष्ठान मनोहर,
गली-गली पकवान है,
बाबा विश्वनाथ की नगरी
की अद्भुत पहचान हैII
जात-पात का भेद मिटाकर
सभी ‘गुरु’कहलाते हैं,
बड़े अनोखे बोल यहाँ के
बड़ी अनोखी बातें हैंII
लोहे को सोना कर देने
की ताकत जो पारस में,
वही मजा बनारस में
ये
नहीं मिले किसी रस मेंII
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