तिरंगा यात्रा..
दोस्तों,भाजपा की युवा इकाई ने सम्पूर्ण देश को एकता के
सूत्र में बांधने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक ‘तिरंगा
यात्रा’शुरू की है,जिसका समापन २६
जनवरी को ‘लाल चौक’में तिरंगा लहराकर
किया जाना है I देश के ही अंदर से किसी सिरफिरे ने इसे
ललकारते हुए चुनौती दी है कि हिम्मत है तो ‘लाल चौक’में तिरंगा लहरा कर दिखाए I जम्मू कश्मीर के
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का भी लगभग यही विचार है I इस विषय
पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है I ऐसे मौकों पर मुझे ‘क्रांतिवीर’ फिल्म का अंतिम दृश्य याद आ जाता है,जिसमें नाना पाटेकर फाँसी पर चढ़ने से पहले मूकदर्शक बने,अथवा यूँ कहें कि तमाशा देखने वाली जनता से रूबरू होते हैं I अपने देश की जनता कैसी है इसका असली चित्रण उस दो मिनट के दृश्य में बहुत
ही बेहतरीन ढंग से किया गया है I आपको याद होगा..
इसी
‘तिरंगा यात्रा’ पर मेरे विचार....
श्रीनगर की घाटी से फिर,
नागों ने फुंफकारा है I
‘लाल चौक’
पर झंडा फड़के,
दुश्मन ने ललकारा है II
बिजली चमक उठी बादल में,
सागर में तूफान उठा I
कंपन करने लगी धरा भी,
वीरों का सम्मान जगा II
लिए तिरंगा बढ़े हाथ,
सिंहों के पद की थाप उठी I
घुमड़-घुमड़ बादल गरजे,
धरती भी थर-थर काँप उठी II
पानी का सैलाब बह चला,
तोड़ के कच्ची बांधी को I
है किसकी औकात जो रोके,
देश प्रेम की आंधी को ?
इसकी आंधी के आगे,
जो आएगा बह जाएगा I
‘लाल चौक’
पर झंडा ऊंचा,
लहर-लहर लहराएगा I
डाल हलक में हाथ,खींच डालो
जुबान पापी नर का I
पैरों तले कुचल डालो,
जो फन उठता है विषधर का II
विष से विष की काट करो,
बातों से काम नहीं होगा I
देशद्रोहियों का भारत में,
कत्लेआम सही होगा II
काश्मीर की धरती पर,
जब तक गद्दार रहेंगे शेष I
तब तक अमन-चैन से वंचित,
ब्यथित रहेगा भारत देश II
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