कहीं धोनी सट्टेबाजी में लिप्त तो नहीं?
भारत और दक्षिण अफ्रीका के
बीच का बहुप्रतीक्षित मुकाबला समाप्त हो चूका है .भारत की पारी बहुत ही शर्मनाक
तरीके से २९६ रन बनाकर आल आउट हो गई.हालांकि दक्षिण अफ्रीका के लिए ये आसान नहीं
था.उसे आसानी से हराया जा सकता था .लेकिन जिस तरह से भारतीय टीम २९ रनों में ९
विकेट खोई उससे इस मैच में सट्टेबाजी की बू आ रही है. भारत यह मैच जिस अविश्वसनीय
तरीके से हारा है,उससे स्पस्ट हो जाता है कि धोनी मिस्टर क्लीन नहीं हैं. धोनी मैच दर
मैच जिस तरह की गलतियां कर रहे हैं उससे उनपर शक होना स्वाभाविक है कि कहीं न कहीं वे यह मैच हारने की तैयारी कर चुके थे .एक तो
चार दिन पहले से उनका यह कहना कि एक हार बाकी है,उसपर से
चावला को लगातार टीम में ऐसे शामिल कर रहे हैं जैसे वह उनका गोद लिया बच्चा
हो.दूसरी वजह एक मैच के दौरान भारतीय ड्रेसिंग रूम में देश का एक मशहूर सट्टेबाज
का दिखना.यह कोई सामान्य सी घटना नहीं है.पिछले दो-तीन मैचों में धोनी द्वारा लिए
गए निर्णयों और भारत के प्रदर्शन से यह साफ हो गया है कि धोनी किस चिड़िया का नाम
है.एक लाचार कप्तान,जिसका खुद का व्यक्तिगत प्रदर्शन एकदम
लचर है,जो मैदान में गेंदबाजों को पिटते हुए विकेट के पीछे
निर्विकार खड़ा देखता रहता है,जो कभी भी साथी खिलाडियों का
हौसला नहीं बढाता,उससे और क्या उम्मीद की जा सकती है?जिस तरीके से भारत हारा उससे यह स्पष्ट हो गया है की धोनी सचिन के साथ-साथ
देश की सवा सौ करोड़ जनता को भी मुर्ख बना रहे हैं,और इसलिए
सचिन को और देश की जनता को अब विश्व कप जीतने का ख्वाब देखना छोड़ देना
चाहिए.लेकिन कहते हैं न,की जब तक सांस ,तब तक आस,इसलिए आस अभी बाकी है.ग्रुप अ का भी जिस
तरह से मैच चल रहा है उससे भी शंका निर्माण होती है.कर्ता-धर्ताओं की पूरी तैयारी
है की भारत और पाकिस्तान सेमी फ़ाइनल में एक दूसरे से भिडें.यदि ऐसा हुआ तब भारत
के लिए फ़ाइनल का रास्ता एकदम से साफ़ हो जायेगा और उसे कप के लिए फिर श्रीलंका या
फिर न्यूजीलैंड से भिड़ना पडेगा,और भारत इनमें से दोनों को
पटखनी दे सकता है.सचिन के खुद के प्रदर्शन के लिए उन्हें ढेर सारी बधाइयां,लेकिन दक्षिण अफ्रिका से मैच में जिस तरीके से पूरी टीम ने सचिन की
मेहनत पर पानी फेरा उससे तो मुंह से बस एक
ही शब्द निकल रहा है...शर्म..शर्म..
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