मानव की रचना....
प्रकृति,
सुन्दर,मनमोहक,अद्भुत .
मानव,
ईश्वर ने मानव की रचना की,
उसे लम्बे नाख़ून नहीं दिए,
नुकीले दांत नहीं दी.
ताकि वह किसी को मार न सके ,
जानवरों की तरह जीवों का
शिकार न कर सके .
पर मानव ...
उसने बना डाले हैं ,अपनी बुद्धि से ,
लम्बे नाखूनों से भी घातक,लम्बे हथियार,
नुकीले दांतों से भी ज्यादा
तीक्ष्ण ,
अस्त्र-शस्त्र औजार ...
और करने लगा निरंतर...
निरीह मानव ,पशु ,जीवों का संहार...
अविरल....अथक....लगातार....
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कविता
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