क्या हासिल हुआ ?


मखमली राहों में चलने से बदन घायल हुआ,
क्यों हमारे साथ ही तकदीर का ये छल हुआ

तय सफ़र करना था जिसको सिर्फ मेरे साथ ही,
हो गया मुझसे जुदा,क्यों भीड़ में शामिल हुआ ?

जो मेरी पलकों में रहता था,मेरा संसार था,
देखते ही देखते क्यों आँख से ओझल हुआ ?

थी महकती राह जो फूलों की खुशबू से सदा,
कीच में तब्दील होकर आज क्यों दलदल हुआ ?

मैं समझता था जिसे सपनों की 'रानी',वो मेरे,
हाथ से अपना छुड़ाया हाथ,क्या हासिल हुआ ?

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