पतझड़ का मौसम...
जोर उनके दिल्लगी की ,
थी बहुत कम क्या करें ?
जानेवाली चीज थी तो ,
जाने का गम क्या करें ?
आस थी कि खिल उठेंगी ,
ठूंठ में कलियाँ मगर ,
साल लेकर आ गया ,
पतझड़ का मौसम क्या करें ?
ज़ख्म को इतना कुरेदा
हो गया नासूर अब ,
कुछ असर करता नहीं
घावों पे मरहम क्या करें ?
उम्र ढलने का तकाजा
रोशनी आँखों में कम ,
सांस काबू में नहीं है
फूलता दम क्या करें ?
याद जब आये तो दिल में
हूक सी उठने लगी ,
डबडबाई आँख फिर से
हो गई नम क्या करें ?
हर चमकती चीज़ को
सोना समझने की सज़ा ,
छीन गयी खुशियाँ
दिले-नादान,मातम क्या करें ?
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