अन्ना हजारे और आमरण अनशन
अन्ना हजारे जन लोकपाल बिल के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर में आमरण अनशन पर बैठे हैं.पूरा देश उनके साथ है और सरकार उनसे डरी हुई है.ऐसा लग रहा है जैसे अन्ना के 'बिल' से सरकारी चूहे डरकर अपने-अपने 'बिल' में घुस गए हैं. बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे की तर्ज पर अपने सिब्बल साहब को आगे किया गया है. एक तो सिब्बल का वकीली दिमाग और दूसरे सीधे-सादे अन्ना. देखें ऊँट किस करवट बैठता है?
वैसे लोकपाल बिल के बारे में बहुत पहले पढ़ा था ,पर भूल चूका था . जिज्ञासा बढ़ने पर अंतरजाल पर ढूँढने लगा कि आखिर ये बिल कौन सी बला है जो अन्ना के जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठते ही शरद पवार जैसा घाघ नेता उठ गया.तो जो कुछ मिला उसे आपके साथ साझा करना चाहता हूँ . हालाँकि ये बिल अन्ना का नहीं है, इसे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े,अधिवक्ता संतोष भूषण और आरटीआई कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल ने मिलकर तैयार की है.दरअसल 'गोपनीयता' को ढाल बनाकर जिस तरह से अंग्रेजों ने भारत देश को लूटा , उसी 'गोपनीयता' को अब कांग्रेस ढाल बनाकर देश को लूट-खसोट रही है.भ्रष्ट नेता देश की जनता का पैसा लूट रही है और जनता असहाय देख रही है.इसके लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैं जो ऐसे भ्रष्ट लोगों को चुनकर संसद में भेजते हैं.
जन लोकपाल बिल और उसकी सार्थकता :
१. इस बिल में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोक आयुक्तों की नियुक्ति का प्रस्ताव है.
२. इनके कामकाज में सरकार और अफसरों का कोई दखल नहीं होगा.
३. भ्रष्टाचार की कोई शिकायत मिलने पर लोकपाल और लोक आयुक्तों को साल भर में जांच पूरी करनी होगी.
४.एक साल के अंदर आरोपियों के ख़िलाफ़ केस चलाकर क़ानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी और दोषियों को सज़ा मिलेगी.
५. भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने वालों से नुकसान की भरपाई कराई जाएगी.
६. अगर कोई अफसर तय समय सीमा के भीतर काम नहीं करता तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा.
७. ग्यारह सदस्यों की एक कमेटी लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति करेगी.
८. लोकपाल और लोकायुक्तों के खिलाफ आरोप लगने पर फौरन जांच होगी.
९. जन लोकपाल विधेयक में सीवीसी और सीबीआई के एंटी करप्शन डिपार्टमेंट को आपस में मिलाने का प्रस्ताव है.
१०. साथ ही जन लोकपाल विधेयक में उन लोगों को सुरक्षा देने का प्रस्ताव है जो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएंगे.
कुल मिलाकर सब कुछ अच्छा होगा,बस जरूरत है एक ईमानदार कोशिश की.हम सभी इस नेक काम में अन्ना के साथ हैं.
वैसे लोकपाल बिल के बारे में बहुत पहले पढ़ा था ,पर भूल चूका था . जिज्ञासा बढ़ने पर अंतरजाल पर ढूँढने लगा कि आखिर ये बिल कौन सी बला है जो अन्ना के जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठते ही शरद पवार जैसा घाघ नेता उठ गया.तो जो कुछ मिला उसे आपके साथ साझा करना चाहता हूँ . हालाँकि ये बिल अन्ना का नहीं है, इसे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े,अधिवक्ता संतोष भूषण और आरटीआई कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल ने मिलकर तैयार की है.दरअसल 'गोपनीयता' को ढाल बनाकर जिस तरह से अंग्रेजों ने भारत देश को लूटा , उसी 'गोपनीयता' को अब कांग्रेस ढाल बनाकर देश को लूट-खसोट रही है.भ्रष्ट नेता देश की जनता का पैसा लूट रही है और जनता असहाय देख रही है.इसके लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैं जो ऐसे भ्रष्ट लोगों को चुनकर संसद में भेजते हैं.
जन लोकपाल बिल और उसकी सार्थकता :
१. इस बिल में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोक आयुक्तों की नियुक्ति का प्रस्ताव है.
२. इनके कामकाज में सरकार और अफसरों का कोई दखल नहीं होगा.
३. भ्रष्टाचार की कोई शिकायत मिलने पर लोकपाल और लोक आयुक्तों को साल भर में जांच पूरी करनी होगी.
४.एक साल के अंदर आरोपियों के ख़िलाफ़ केस चलाकर क़ानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी और दोषियों को सज़ा मिलेगी.
५. भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने वालों से नुकसान की भरपाई कराई जाएगी.
६. अगर कोई अफसर तय समय सीमा के भीतर काम नहीं करता तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा.
७. ग्यारह सदस्यों की एक कमेटी लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति करेगी.
८. लोकपाल और लोकायुक्तों के खिलाफ आरोप लगने पर फौरन जांच होगी.
९. जन लोकपाल विधेयक में सीवीसी और सीबीआई के एंटी करप्शन डिपार्टमेंट को आपस में मिलाने का प्रस्ताव है.
१०. साथ ही जन लोकपाल विधेयक में उन लोगों को सुरक्षा देने का प्रस्ताव है जो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएंगे.
कुल मिलाकर सब कुछ अच्छा होगा,बस जरूरत है एक ईमानदार कोशिश की.हम सभी इस नेक काम में अन्ना के साथ हैं.
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