तकनीक क्या है?
आज के
समय की महती आवश्यकता है,हम सब तकनीक को जाने,जिसके अभाव में हमारा कोई
वज़ूद नहीं.हम न जानते हुए भी,प्रतिदिन नयी-नयी तकनीकियों
से अपने आप को जुड़ा हुआ देखते हैं.यदि हम अपने जीवन में काम आने वाले तकनीकियों से
अनभिज्ञ रहेंगे,तो भारत पीछे रह जाएगा.
भोजपत्रों और भूमि पर लेखन कार्य करने वाला भारत आज कंप्यूटर,लैपटॉप और मोबाइल पर आ गया है,यह सब तकनीक का ही प्रभाव है.फसल के ऊपर बैल घुमाकर अनाज निकालने वाला भारत,आज ट्रेक्टर और अत्याधुनिक उपकरणों से एक ही दिन में अनाज को सीधा खेत से उठाकर घर ले आता है.कभी लम्बी पद यात्रा पर निर्भर रहने वाला भारत आज १०० कदम भी विना वाहन के नहीं चलता.मंत्र,यन्त्र और तंत्र पर निर्भर रहने वाला भारत आज सूत्र,मशीन और तकनीक को बहुत शीघ्र पकड़ रहा है.घर में जो उपकरण हो,उसके बारे में ज्ञान अतिशीघ्र आ जाता है,जैसे रेडियो,टीवी,कंप्यूटर,टॉर्च,साइकिल,बाइक ,कार इत्यादि.बहुत से ऑटो ड्राइवर, अपने वाहन का मेंटेनेंस खुद ही कर लेते हैं,ऐसे ही अन्य उपकरण रखने वाले लोग भी,कुछ न कुछ अपने उपकरण में सुधार करना सीख ही जाते हैं,और यही समय की मांग भी है.
डिग्री से पहले या उसके साथ -साथ हमें टेक्निकल एजुकेशन की भी अति आवश्यक आवश्यकता है.सॉफ्टवेयर ,हार्डवेयर,टूल्स ,मैनुअल्स आदि सभी के बारे में ज्ञान अर्जित करने से ही भारत आगे बढ़ेगा.
आज के युवा का चिंतन तकनीक पर हो,न कि ममता दीदी ने क्या कहा,राहुल सो रहे या जग रहे, उत्तर प्रदेश में लाइट कितनी देर रहती है इत्यादि,ताकि हम ऐसी तकनीक विकसित कर सकें जिससे साइकिल चलते -चलते मोबाइल चार्ज हो, जमीन पर पड़ने वाली सूर्य की प्रत्येक किरण हर घर में रात्रि के समय उजाला कर सके.केवल राजनीती , दर्शन ,साहित्य से ही हमारा भला नहीं हो सकता,पेट की जठराग्नि शांति हेतु हमें योग,स्वदिष्ट भोजन,स्वच्छ पेयजल,दुग्ध,फल आदि की भी आवश्यकता पड़ती है.
शॉप थ्योरी की जो पुस्तक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई जाती है,वह अमेरिका में बेसिक क्लास में पढ़ाई जाती है,यही कारण है भारत आज तकनीक में विश्व के कुछ राष्ट्रों से पीछे है.
भोजपत्रों और भूमि पर लेखन कार्य करने वाला भारत आज कंप्यूटर,लैपटॉप और मोबाइल पर आ गया है,यह सब तकनीक का ही प्रभाव है.फसल के ऊपर बैल घुमाकर अनाज निकालने वाला भारत,आज ट्रेक्टर और अत्याधुनिक उपकरणों से एक ही दिन में अनाज को सीधा खेत से उठाकर घर ले आता है.कभी लम्बी पद यात्रा पर निर्भर रहने वाला भारत आज १०० कदम भी विना वाहन के नहीं चलता.मंत्र,यन्त्र और तंत्र पर निर्भर रहने वाला भारत आज सूत्र,मशीन और तकनीक को बहुत शीघ्र पकड़ रहा है.घर में जो उपकरण हो,उसके बारे में ज्ञान अतिशीघ्र आ जाता है,जैसे रेडियो,टीवी,कंप्यूटर,टॉर्च,साइकिल,बाइक ,कार इत्यादि.बहुत से ऑटो ड्राइवर, अपने वाहन का मेंटेनेंस खुद ही कर लेते हैं,ऐसे ही अन्य उपकरण रखने वाले लोग भी,कुछ न कुछ अपने उपकरण में सुधार करना सीख ही जाते हैं,और यही समय की मांग भी है.
डिग्री से पहले या उसके साथ -साथ हमें टेक्निकल एजुकेशन की भी अति आवश्यक आवश्यकता है.सॉफ्टवेयर ,हार्डवेयर,टूल्स ,मैनुअल्स आदि सभी के बारे में ज्ञान अर्जित करने से ही भारत आगे बढ़ेगा.
आज के युवा का चिंतन तकनीक पर हो,न कि ममता दीदी ने क्या कहा,राहुल सो रहे या जग रहे, उत्तर प्रदेश में लाइट कितनी देर रहती है इत्यादि,ताकि हम ऐसी तकनीक विकसित कर सकें जिससे साइकिल चलते -चलते मोबाइल चार्ज हो, जमीन पर पड़ने वाली सूर्य की प्रत्येक किरण हर घर में रात्रि के समय उजाला कर सके.केवल राजनीती , दर्शन ,साहित्य से ही हमारा भला नहीं हो सकता,पेट की जठराग्नि शांति हेतु हमें योग,स्वदिष्ट भोजन,स्वच्छ पेयजल,दुग्ध,फल आदि की भी आवश्यकता पड़ती है.
शॉप थ्योरी की जो पुस्तक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई जाती है,वह अमेरिका में बेसिक क्लास में पढ़ाई जाती है,यही कारण है भारत आज तकनीक में विश्व के कुछ राष्ट्रों से पीछे है.
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