चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है

    हिंदी फिल्मों में साहिर ने एक से बढ़कर एक सदाबहार नग्में लिखें हैं.वक्त फिल्म का एक नग्मा मुझे बेहद प्रिय है,जिसे मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ.आपको भी अच्छा लगेगा.
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है,आँखों में सुरूर आ जाता है – 2
जब तुम मुझे अपना कहते हो,अपने पे ग़ुरूर आ जाता है ।
चेहरे पे ख़ुशी…
तुम हुस्न की ख़ुद एक दुनिया हो,शायद ये तुम्हें मालूम नहीं – 2
शायद ये तुम्हें मालूम नहीं,
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है ।
जब तुम मुझे अपना…
हम पास से तुमको क्या देखें,तुम जब भी मुक़ाबिल आते हो – 2
तुम जब भी मुक़ाबिल आते हो,
बेताब निगाहों के आगे परदा सा ज़रूर आ जाता है ।
जब तुम मुझे अपना…
जब तुमसे मुहब्बत की हमने,तब जा के कहीं ये राज़ खुला – 2
तब जा के कहीं ये राज़ खुला,
मरने का सलीका आते ही जीने का शऊर आ जाता है ।
जब तुम मुझे अपना…
                                                                                               __ साहिर लुधियानवी 

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