बिटिया रानी...


मईया बाबू की लाडली थी ,

उनकी बगिया की एक कली थी I
लेके सपने हजार आँखों में ,
अपने पी के नगर चली थी II
                महकते फूल सा खिला यौवन ,
                नाजो-अंदाज़ से पली थी I
                नए रिश्तों की डोर में बंधकर ,
                 सबके रंगों में जा ढली थी II
कुछ दिनों में बदल गया सबकुछ ,
सूना घर-बार और गली थी I
हुई रुखसत वो चार कांधे पर ,
आके ससुराल में जली थी II

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