शर्म...शर्म...शर्म...

   दिल्ली के रामलीला मैदान में सोये हुए निहत्थे अनशनकारियों पर पुलिस ने जो दमनात्मक कार्रवाई की उससे देश के करोड़ों लोगों का सर शर्म से झुक गया.कांग्रेस के निरंकुश,भ्रष्ट और अहंकारी नेताओं को देश की जनता इस कुकृत्य के लिए कभी माफ़ नहीं करेगी.आनेवाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.दरअसल सरकार ने अपने इस तालिबानी कदम से अपने लिए स्वयं कब्र खोद ली है.जिस तरह से रात को एक बजे सोये हुए अनशनकारी स्त्री,पुरुष और बच्चों पर पुलिस ने लाठियां चलाई,आंसू गैस के गोले छोड़े उसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है.
   इस दमनात्मक कार्रवाई के पीछे सिब्बल का शातिर दिमाग काम कर रहा था.अन्ना हजारे के अनशन के वक्त भी कांग्रेस ने अपने इसी धूर्त नेता को आगे किया था और उस लेख में मैंने जो शंका प्रकट की थी,अन्ना के साथ वही हुआ.चोट खाए अन्ना ने भी बाबा को अनशन पर जाने से पहले सरकार से सचेत रहने की चेतावनी दी थी.सिब्बल ने प्रेस कोंफ्रेंस करते समय बाबा की जो चिट्ठी दिखाई,उस समय उसके चेहरे की कुटिलता देखने लायक थी.सिब्बल,दिग्गी और अन्य कांग्रेसी नेता जिस तरह से एक ही राग अलाप रहे हैं कि केवल पांच हजार लोगों की इजाज़त थी,या केवल योग करने की इजाज़त थी तो मैं यह पूछना चाहता हूँ कि जब योग की ही इजाज़त थी तो बाबा की अगवानी करने के पीछे उनका क्या उद्देश्य था?ये चिट्ठियों का आदान-प्रदान क्यों होने लगा?सिब्बल और दिग्गी का ये कहना कि बाबा का काम योग सिखाना है और वे योग सिखाएं,उनके मानसिक दिवालियेपन की निशानी है.तब तो सिब्बल को पहले अपने गिरेबाँ में झांकना चाहिए कि वो एक वकील हैं और अपनी वकालत करें.राजनीति में क्या कर रहे हैं?देश की जनता को अच्छी तरह से पता है कि बाबा किस तरह से दो महीने से चीख-चीखकर रामलीला मैदान में आन्दोलन की चेतावनी दे रहे थे और उसमें लाखों लोगों के आने की बात कर रहे थे.मीडिया के सामने आकर दांत निपोरने से सच्चाई दब नहीं सकती.
पांच तारीख की सुबह करोड़ो लोग रामलीला मैदान में पुलिस की बर्बर कार्रवाई को समाचार चैनलों पर देख रहे थे.ये भी कि किस तरह दिल्ली पुलिस कमिश्नर वी.के.गुप्ता मीडिया से झूठ बोल रहे थे कि बाबा को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है,वो कहीं चले गए हैं,तथा पुलिस ने निहत्थे अनशनकारियों पर कोई बल प्रयोग,कोई डंडेबाजी नहीं की है.अब,जब कि सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए केंद्र से सात दिनों के भीतर जवाब माँगा है,देखते हैं कि केंद्र क्या जवाब देती है.पुलिस का सफ़ेद झूठ और काला चेहरा तो तभी उजागर हो गया जब उसने मैदान में लगे चालीस सीसीटीवी सेट्स को अपने कब्जे में कर लिया.जाहिर है कि पुलिस सीसीटीवी में कैद सारे सबूतों को नष्ट करना चाहती है.
   और ये दिग्गी...इन्हें तो हर काम के पीछे आरएसएस ही दिखता है.ये हुआ तो आरएसएस,वो हुआ तो आरएसएस,जनार्दन द्विवेदी पर किसी ने जूता ताना तो आरएसएस .चेहरे पर हमेशा बारह बजे रहते हैं.किसी दिन इनका शौच बंद हो जाता होगा तो उसके लिए भी ये आरएसएस को ही जिम्मेदार मानते होंगे...बेचारे रात में भी आरएसएस के ही सपने देखते होंगे...यहाँ पर यह प्रश्न भी प्रासंगिक हो जाता है कि जो मुद्दे बाबा ने उठाये हैं,उन मुद्दों के पीछे आरएसएस या बीजेपी या किसी और के खड़े होने पर क्या उसकी महत्ता कम हो जायेगी?या क्या उसे सरकार मान्य नहीं करेगी?अरे दिग्गी भईया,इन मुद्दों के पीछे देश की एक सौ इक्कीस करोड़ जनता के साथ-साथ लाखों एनआरआई भी हैं.(कृपया इस संख्या में से भ्रष्ट कांग्रेसियों को निकाल दें.)हद तो तब हो गई जब सभी भ्रष्ट कांग्रेसी ये कहने लगे कि अन्ना और बाबा,दोनों आरएसएस और बीजेपी के मोहरे हैं.
   देश की जनता से यह अनुरोध है कि सत्ता के इन दलालों का जहाँ तक हो सके तीब्र भर्त्सना की जाए और अधिक से अधिक लोग बाबा के इस यज्ञ को अपना समर्थन दें.और सरकार भी ये चेत ले,कि जिस दिन बाबा की तरह अन्ना की गिरफ्तारी हुई,उस दिन से उनके विनाश की उल्टी गिनती शुरू हो जायेगी.देश की जनता अच्छी तरह से जानती है कि विदेशों में जो काला धन जमा है,वो सब भ्रष्ट कांग्रेसियों के ही हैं.इसीलिए,वे यह कभी नहीं चाहेंगे कि इस तरह का कोई आन्दोलन सफल हो.इस घटना के विरोध में अन्ना के आठ तारीख के प्रस्तावित अनशन को सरकार शायद ही इजाज़त दे.ऐसे में अन्ना,बाबा और उनके समर्थकों को अपना कदम पीछे नहीं हटाना चाहिए.केंद्र सरकार डरी हुई है,अतः अन्ना और बाबा,दोनों मिलकर ऐसा आन्दोलन खड़ा करें कि सरकार की रूह तक काँप जाए और उनका ये आन्दोलन सरकार की ताबूत में आख़िरी कील ठोंकने के समान हो.

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