निरंकुश सरकार

   रामलीला मैदान में पुलिस की बर्बरता के पश्चात् केंद्र सरकार की जो किरकिरी हो रही है उसकी झल्लाहट या खिसियाहट में अब वह अनाप-शनाप निर्णय लेने लगी है.केंद्र जबरदस्ती बाबा और अन्ना को साम्प्रदायिक साबित करने पर तुली हुई है.उसे अपने चेहरे पर पुती कालिख को धोने का इससे अच्छा उपाय और कुछ नहीं सूझ रहा.लगता है केंद्र के कुछ मंत्री अपने आप को वह चरवाहा समझ रहे हैं जिसके हाथ में सत्ता का डंडा है,और देश की जनता को मूक और निरीह पशु,जिसे डंडे के जोर से जैसा हांकेंगे,जनता वैसे हांक लेगी.
  अब बाबा की संपत्ति की जांच से तो ऐसा ही लगता है.इसके पहले अन्ना ने जब जंतर-मंतर पर अनशन किया था तब उनकी और उनके टीम के सदस्यों के संपत्ति की जांच कराई गई थी.हासिल कुछ नहीं हुआ.अब बाबा पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत उनके साथ भी ऐसा ही किया जा रहा है.यह है कांग्रेस का असली चेहरा.बदले की कार्रवाई.अगर केंद्र के मंत्री वाकई अच्छे होते तो इस तरह की ओछी राजनीति ना करते.और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कांग्रेसियों को जब-जब उनकी औकात बताई गई,तब-तब वे कटहे कुत्ते की तरह उसपर झपट पड़े हों.
   इंदिरा के समय से ऐसी घटनाएं होती रही हैं.जानकार लोग याद करें तो याद आ जाएंगी.ताजा घटनाक्रम में आई पी एल के चीफ ललित मोदी का दृष्टांत देना प्रासंगिक होगा.आपको याद होगा जब ललित मोदी ने केन्द्रीय मंत्री शशी थरूर को लेकर कुछ खुलासे किये थे तब ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी कि शशी को इस्तीफा देना पड़ा.बाद में क्या हुआ?अपनी बदले की आदत के अनुसार कांग्रेसी ललित मोदी के पीछे पड़ गई.जांच पर जांच .ऐसा दबाव बनाया कि बेचारे गिरफ्तारी से बचने के लिए देश से बाहर रहने पर मजबूर हैं.तो ऐसी है केंद्र की सरकार..निरंकुश,दंभी और तानाशाह.अगले चुनावों में इन्हें इनकी औकात बताना आवश्यक हो गया है. 

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