पहली फुहार ...

उमड़-उमड़कर,घुमड़-घुमड़कर
गरजे,बादल बरसे,
सरसर-सरसर हवा से चुनरी
उड़-उड़ जाए सर से II गरजे,बादल बरसे...

                मिटी धरा की प्यास,झूमकर
                मोर वनों में नाचे,
                रिमझिम-रिमझिम बारिश की जब
                बूँद गिरी अंबर से II गरजे,बादल बरसे...

तृप्त हुए भू के वासी सब
तृप्त हुआ जग सारा,
विरहा की अगनी की मारी
मैं निकली ना घर से II गरजे,बादल बरसे...

                पिया बसे परदेस,सताएं
                सखियाँ ताना मारे,

                सावन के गीतों को सुन-सुन

                हूक उठे अन्दर से II गरजे,बादल बरसे...

रह-रह झाँकू द्वार,निहारूं

रस्ता देखूं पल-पल,

पिया मिलन की आस जगी
मन आकुल,जियरा तरसे II गरजे,बादल बरसे...

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